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गुलामगीरी- जोतीराव गोविंदराव फुले

इस बात पर हमारे कुछ ब्राह्मण भाई इस तरह प्रश्न उठा सकते हैं कि यदि ये तमाम ग्रंथ झूठ-मूठ के हैं, तो उन ग्रंथों पर शूद्रादि-अतिशूद्रों के पूर्वजों ने क्यों आस्था रखी थी? और आज इनमें से बहुत सारे लोग क्यों आस्था रखे हुए हैं? इसका जवाब यह है कि आज के इस प्रगति काल में कोई किसी पर जुल्म नहीं कर सकता। मतलब, अपनी बात को लाद नहीं सकता। आज सभी को अपने मन की बात, अपने अनुभव की बात स्पष्ट रूप से लिखने या बोलने की छूट है।

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