परमात्मा से वेदोत्पत्ति में वेद का प्रमाण-दयानन्दसरस्वती
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प्रथम ईश्वर को नमस्कार और प्रार्थना करके पश्चात् वेदों की उत्पत्ति का विषय लिखा जाता है, कि वेद किसने उत्पन्न किये हैं। (तस्माद् यज्ञात् सर्वहुतः) सत् जिसका कभी नाश नहीं होता, आनन्द जो सदा सुखस्वरूप और सबको सुख देनेवाला है, इत्यादि लक्षणों से युक्त पुरुष जो सब जगह में परिपूर्ण हो रहा है, जो सब मनुष्यों के उपासना के योग्य इष्टदेव और सब सामर्थ्य से युक्त है, उसी परब्रह्म से (ऋचः) ऋग्वेद, (यजुः) यजुर्वेद (सामानि) सामवेद और (छन्दांसि) इस शब्द से अथर्ववेद भी, ये चारों वेद उत्पन्न हुए हैं।